मॉर्निंग नोट्स
आज सुबह
२८/०२/२०२२
बहुत खूबसूरत सुबह , अगर आप अपनी हर सुबह यह सोच कर शुरू करते हैं की , यह सुबह एक तोहफा है ईश्वर का, तो सुबह सुखद ही होगी। बरगद का पेड़ धीरे -धीरे उगता है बढ़ता है , फिर एक दिन विशालकाय हो जाता है , बहुत से पक्षी उसपर पर विश्राम करते हैं , ज्यों ज्यों वह बढ़ता है उसकी शाखाएं दूर जाने लगती हैं , फिर उन शाखाओं से और जड़ें , कॉलम रूट्स , परोप रूट्स निकलती है , जो देखने में नाज़ुक लगती हैं , लेकिन वह जड़ें जमीन पर आकर मिट्टी से मिलकर , खुद को और मज़बूत कर लेती हैं। पुराने जमाने में सयुंक्त परिवार ऐसे ही होते थे। दादा दादी बरगद का बड़ा पेड़ होते थे , और उनकी टहनियां दूर- दूर तक फ़ैल जाती थी , फिर टहनियाँ से निकली जड़ें , छोटे बच्चों के रूप में उनसे जुडी रहती थीं। प्रकृति के बहुत से तरीके हैं हमें समझाने के। उसके लिए कॉलेज या यूनिवर्सिटी जाने की ज़रुरत नहीं। सब सामने ही है। बस देखना और समझना ही है। आपको कोई भाषा आती हो या नहीं। जिस तरह प्यार कभी भी कैसे भी हो सकता है। भाषा, रंग ,भेद सब को किनारे रखकर।
बरगद के पेड़ की ज्यादा देखभाल नहीं करनी पड़ती , वह पूर्णत: सक्षम है ,हाँ अकस्मात संकटों से बचा लें तो ठीक है। बरगद की उम्र १०० साल से ज्यादा हो सकती है , और भी ज्यादा। हमारे बुजुर्ग भी १०० का अंक पार कर लेते हैं , पहाड़ों में तो अक्सर होता है। अपने बरगदों के पास थोड़ी देर बैठें , उन्हें अच्छा लगेगा।
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