आज सुबह
मॉर्निंग नोट्स
१/०८/२०२२
अगस्त का महीना शुरू हो गया , बहुत सुहानी सुबह है आज , हल्की सी धुंध थी और पौधों की पत्तियों पर पानी की बूंदे ठहरी हुयी थी , जैसे गाँव में घास की पत्तियों पर पानी ठहरा रहता है और खेतों में बने रास्ते से गुजरने पर कपड़े गीले हो जाते हैं आप चाहे कितना भी बचा लो खुद को। पहाड़ पर बहुत बारिश हुयी है , ब्यास नदी में बाढ़ है , और अतिक्रमण के प्रति नदी अपना काम कर रही है प्रकृति के साथ खिलवाड़ के कुछ दण्ड तो भुगतने होंगे। आज बहुत दिनों के बाद बालकनी में चाय पी , उमस नहीं , गर्मी नहीं , ऐसी सुबहें मांग कर भी नहीं मिलती , यह जीवन का प्रसाद है।
इन बरसातों में मुझे "घर" होना था , लेकिन एक के बाद एक इतने कारण बन गए की जा ही नहीं पाया। ब्यास नदी का उफान नहीं देख पाया। एक समय था ब्यास में इतनी बाढ़ नहीं आती थी , हाँ पानी मिट्टी जैसा हो जाता था , उसमें बहते हुए सूखे पेड़ों के तने बह कर आते थे , वाशिंग , कुल्लू , भुंतर में कई जगह बहते बहते वह किनारे आ जाते थे , कुछ लोग लकड़ी इकट्ठी करने में माहिर थे , कुछ तने इतने बड़े होते थे की उन्हें कुल्हाड़ी से काटते काटते कई दिन लग जाते थे , बहुत से लोगों के घरों में सर्दियों में यह लकड़ियां बहुत काम आती थी। कुछ ठेले वहीँ पड़े रहते थे ,मैं, जब नदी अपने सुन्दर स्वरुप में लौट आती थी , उन लकड़ी के अधकटे टुकड़ों पर बैठ कर नदी का बहाव देखता था। अब नदी के किनारे सड़कों से स्पॉट हैं और किनारों पर बहा ले जाने के लिये पेड़ ही नहीं हैं।
आप अपना सप्ताह अच्छे से शुरू करें।
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