शरद पूर्णिमा ..

लघु कथा ..शरद पूर्णिमा ..

शाम ढल रही थी ,कालेज से लगभग सभी लोग धीरे धीरे जा रहे अगले दिन से कॉलेज 15 दिन के लिए बन्द हो रहे थे ..हम बाटल ब्रश के पेड़ के पास वाले लकड़ी के बेंच पर बैठे थे ..शोर धीरे -धीरे शांत हो रहा था और ,ब्यास नदी की आवाज लगभग साफ सुनाई दे रही थी ....

रोहतांग से आती ठंडी हवा का झोंका ..शरीर में थोडी और सर्दी का एहसास करवा गया था .....तुम बेंच पर खिस्क कर मेरे और करीब आ गयी थीं ..मैने जैसे ही तुम्हारे हाथ को छुआ ...लगा बर्फ से भी ठंडा हैं ..मैने तुम्हारे दोनो हाथों को अपने हाथों के बीच रख लिया ..

तुमने पूछा ,तुम्हारे हाथ इतने गर्म क्यों हैं ....

मेरे हाथ ऐसे ही रहते हैं ...बचपन से ...शायद .....

खैर छोड़ो ..मेरे हाथ ऐसे ही रहते हैं ...

रात होने लगी थी ,तुम्हारा चेहरा और भी सुंदर लगने लगा था ...मैने तुम्हारी बड़ी बड़ी ...hazel nut आँखों में देखते हुये पूछा ..तुम्हारा चेहरा इतना ..चमक क्यों रहा हैं ...

....बुद्धु आज शरद पूर्णिमा हैं ...आज चाँद में बहुत रोशनी होती है और चाँद बहुत सुन्दर लगता है ..खिला - खिला शायद इसलिये ही शायद मेरा चेहरा भी ...

चाँद बहुत तेज रोशनी प्रदान करता है ..धरती मां जगमागने लगती है ....और सब देवी देवताओं को लगता है की धरती पर चल कर रहा जाए...

बहुत ही रोमांचकारी होती यह रात्रि ..आसमान से रात में अमृत वर्षा होती है ......तुम बोलती हुई और भी सुन्दर लग रही थीं ...मैं एक मासूम बालक की तरह सुन रहा था ...

तुम्हारे हाथ अब भी ..मेरे हाथ .में थे ...

तुमने बताना जारी रखा .. और सुनो इस दिन खीर बनायी जाती है ..लक्ष्मी मां की पूजा की जाती है ..और कहते हैं की अगर ..खीर तुलसी के पौधे के नीचे रात में ..रखी जाए तो ..और वहाँ एक दिया जलाया जाए ..

तो ..

शरद पूर्णिमा की चांदनी रात में आसमान से ..अमृत वर्षा होती है .और सुबह तक खीर अमृत हो जाती है ..उसे सुबह ग्रहण किया जाता है प्रशाद के रुप .में ....दादी माँ ने बताया था ..आज भी माँ खीर बना रही होगी ...रात पूरे ...यौवन पर थी .....

समय रुकता कहां है ..और रिश्ते कई बार .ज्यादा चल नहीं पाते ..अपने ही बोझ तले आकर दम तोड़ देते हैं ..

आज शरद पूर्णिमा है ...खीर बना रहा था ..रात को तुलसी के पौधे के नीचे रखूँगा . अचानक वो सब आँखों के सामने घूम गया .........लगा तुम्हारे हाथ अब भी मेरे हाथों में हैं ..

शरद पूर्णिमा में ..शायद सब बहुत सुंदर दिखते हैं ...तुम्हारी तरह ..

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rameshpathania

I write in Hindi ,poetry,short stories ,opinion on environment and development.Translator IIMC Delhi &HPU SHIMLA .Follow ,support .