आज सुबह
२९/०७/२०२२
सुबह उम्मीद से है , बरसात की , आज तो हो ही जाएगी। कुछ दिनों से बारिशें नहीं है , पहाड़ पर खूब बरसात हो रही है , बादल फट रहें हैं , और पिछले तीन दशकों में हमने क्या किया है उसकी पोल खुल रही है। हम सारा शहर पहाड़ ले आये हैं , सब कुछ , गाड़ियां , बुलडोज़र , जेसीबी और छोटे मोटे मॉल्ज़ और शहर की तहजीब। यह बदलाब कितना अच्छा है कितना नहीं यह तो उन लोगों से पता चलेगा जो पचास या साठ के दशक में पैदा हुए हैं। हाँ मुझे इतना पता है की बादल फटने की घटनाएं एक या दो होती थीं पूरी बरसातों में। पूरी की पूरी पहाड़ियां नहीं चली आती थी सड़क और नदी में। यहां से पत्थर गिरते हैं ध्यान से चलें के बोर्ड सिर्फ हणोगी माता के मंदिर के पास मिलते थे या किन्नौर जाते हुए। पूरी सड़कों में जिनका निर्माण हो रहा होता था , उनपर दो तीन बुलडोज़र और तीन चार रोडरोलर होते थे। बदलाब और विकास जरूरी है , लेकिन इतना भी नहीं की आपको किसी पहाड़ पर भरोसा ही न रहे , आप अपनी नदी के बिगड़े हुए रूप को पहचान ही न सकें। जब शहर में से निकलें तो सब चेहरे अनजान ही मिलें। कोई आप से बात ही न करना चाहे , अगर कोई बात करता है तो लगता का सरहद पर लगी कांटेदार तार के उस तरफ से बात कर रहा है डरा हुआ सहमा हुआ या फिर डरा रहा है। अपने ही शहर में खुद को पराया महसूस होता है।
आज शुक्रवार का दिन है , आप अपना वीकेंड अच्छे से प्लान करें पहाड़ पर जाने की सोच रहें हैं तो ना जाएँ , कहीं अटक गए तो परिवार को दुविधा हो सकती है। यहीं आसपास जाकर अपना मनोरंजन करें। अगर आप को लगता है की घंटों ट्रैफिक में फंसे रहकर , आप खुश रहेंगे तो गलत है। रिश्तों के बीच वही कांटेदार तार दिखेगी जो सरहद पर दिखती है , या उस पड़ोसी की दीवार पर , जो अमीर हो जाता है और आपसे बात नहीं करना चाहता , क्योंकि आपके पास न उसके जितना , पैसा है ,रुतवा है या बड़ी गाड़ी है। जीवन में इन कांटेदार तारों से दूर ही रहें।
अपना दिन अच्छे से बिताएं। योग करें , मन को शांत रखें
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