Lonely Ring..

Short Story ...

Lonely Ring..

काफी पीते हुये सहर ने मुझे अपनी अंगुलियों से खेलते हुये देखा ,

तुम्हारी अंगुलियां खाली क्यों हैं सुधाकर , एक भी अंगूठी नहीं है ,

एक अंगूठी थी ,बहुत साल तक ,फिर एक दिन अचानक चुभने लगी ,

चुभती रही मैं सहता रहा , निकालने का मन हुआ फिर सोचा खाली हाथ बुरा लगेगा, लोग क्या कहेंगे ?

फिर ..एक दिन लगा की शायद अंगुली में ह्ल्का सा जख्म हो गया है ...जख्म नासूर ना बन जाए ..इसलिये निकाल दी ,

जेब में रख ली ,कभी - कभी किसी मौके पर प ह न ने लगा ,

फिर एक दिन पुल पर खड़े होकर ...अंगूठी नदी में फेंक दी ...

अब अच्छी लगती हैं ..खाली अंगुलियां .आज़ाद सी ..

हाथ सूने नहीं लगते ,सहर ने अपने बालों का बन बनाते हुये पूछा ..

नहीं सूने नहीं लगते ,ज़रूरी तो नहीं ..अंगुलियों को सिर्फ अंगू ठी का साथ होता है ,या अंगुलियों का अकेलापन अंगूठी मिटा सकती है ..

अंगूठी से सूनेपन का क्या रिश्ता ...सहर ...

तुम्हारे हाथ भी तो ..सूने हैं ..

मेरी अंगूठी पर्स में है सुधाकर ....सहर ने अपना बन खोल कर बालों को खोलकर अपनी खाली अंगुलियों से सहला कर ...मुस्कुरा दिया .

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rameshpathania

I write in Hindi ,poetry,short stories ,opinion on environment and development.Translator IIMC Delhi &HPU SHIMLA .Follow ,support .